तपस्या दिलाएगी समस्या का हल (मुनि श्री संधान सागर जी)
Penance will give solution to the problem (Muni Shri Sandhan Sagar ji)
बड़वानी(निप्र) दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र बावनगजा पर विराजमान संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी के अज्ञानुवर्ती शिष्य एवम युवा तरुनाई। के प्रखर वक्ता मुनि श्री संधान सागर जी ने अपनी ओजस्वी वाणी में आज आराधना की साधना प्रयोगशाला शिविर में पर्वराज पर्युषण के उत्तम तप पर बोलते हुए कहा की तपस्या के माध्यम से हम सारी समस्या का हल निकाल सकते है, मुनि श्री ने बोला की "तन मिला तुम तप करो,करो कर्म का नाश,और रवि ,शशि से भी ज्यादा है तुम में प्रकाश ।
मुनिश्री ने कहा की आप उपवास, एकाशन , रस छोड़ना को त्याग समझते हो, जबकि तन की तपस्या से ज्यादा कठिन मन की तपस्या है जैसे गुस्से से भोजन छोड़ना आसान है, लेकिन गुस्से को छोड़ना कठिन है । गुरुदेव ने 4 बात बताई मनस्वी,तपस्वी,तेजस्वी,यशस्वी ।
पहले तपस्वी बनो और आप मनस्वी हो तो मन को नियंत्रण में करो , बिना तपस्या के मन भी कंट्रोल नही होता ,सभी को अपने मोह को तजना होगा तभी आप तपस्या में कदम बढ़ा सकोगे और अपनी तपस्या को ऐसे बनाए की समस्या दूर हो जाए यहा ये लाइन सार्थक होती है ,सूरज तपे , तपे रे तुझको तपना होगा । और मान लो तो हार है ठान लो तो जीत है।
उच्च मनोबल और दृढ़ इच्छा शक्ति वाला व्यक्ति ही तपस्या करके उच्च स्थान को प्राप्त कर सकता है । बदल जाओ वक्त के साथ या वक्त को बदल डालो,मजबूरियों को मत कोसो हर हाल में चलना सीखो । हार जीत हमारी सोच पर निर्भर करता है, हार कभी होती नही, या तो जीत होगी या सिख होगी। आज तप का दिन है तप करना चाहते हो तो टूट पड़ो । मुनिश्री ने बताया की तप क्यों?तो बताया की तन को साधने और मन को निर्मल बनाने के लिए। तपस्या कब? तो बताया की जब आपका शरीर काम कर रहा है तब कर लो। तपस्या कैसे? तो मुनिश्री ने बताया की ज्ञान पूर्वक तपस्या हो, अज्ञानता से नही। हमे अपनी आत्म शुद्धि और आत्म निर्मलता के लिए उपवास करना है तपस्या के माध्यम से हम मन का कंट्रोल कर तपस्वी बन जाते है और उसी की वजह से भगवान की तरह तेजस्वी बन जाते है। मुनिश्री ने बताया की परीक्षा सतियो की होती है, वैश्या की नही।संकट और उपसर्ग साधुओं पर आते है डाकुओं पर नही और कसौटी पर सोने को कसा जाता है पीतल को नही उसी प्रकार तेजस्वी वही बन पाता है जो तपस्वी है।
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