मध्यप्रदेश में प्रतिभाओं का गला घोंटा जा रहा है आदिवासी छात्र सिविल जज इंटरव्यू में एक भी नहीं है। Talents are being strangled in Madhya Pradesh. There is not a single tribal student in the Civil Judge interview

 मध्यप्रदेश में प्रतिभाओं का गला घोंटा जा रहा है आदिवासी छात्र सिविल जज इंटरव्यू में एक भी नहीं है 

भोपाल 

मध्यप्रदेश में MPCJ की 121 सीटों में एक भी आदिवासी छात्र सिविल जज बनने की काबिलियत नहीं रखता है या फिर छात्र को इंटरव्यू में बाहर किया जाता है आदिवासी समाज़ के नेता मंत्री, सांसद विधायक चुप रहेंगे तो उन्हें शर्म आनी चाहिए कि नाम से जो नेता मंच से तालियाँ बजाने वाले लोगों को इस सवाल का जवाब देंगे कि अगर हम उनके वंशजों पर इतना गर्व करते हैं तो उनके बच्चों का हक क्यों मारा जा रहा है या आदिवासी समाज सिर्फ फोटो शूट के लिए है



 या इस देश के न्याय तंत्र में भी हमारी जगह है प्रदेश सरकार बताएं जब चयन प्रक्रिया में बार बार आदिवासी युवाओं को बाहर कर दिया जाता है तो आदिवासी के साथ भेदभाव क्यों किया जाता है तो फिर आरक्षण किस बात का दिखावा है और हमारे अपने समाज के लोग जो नेताओं के सामने गाने नाचने में लगे हैं या मनोरंजन से अधिकार नहीं मिलते अधिकार संघर्ष से छीनने पड़ते हैं आने वाली पीढ़ियों अब हम हक की लड़ाई लड़ेंगे आदिवासी समाज जागो हमारी सीटें खाली रह जाती हैं तो आदिवासी के नाम पर राजनीति करने वालों से पूछो अगर सच में आदिवासी का सम्मान है तो फिर हमारे बच्चों को न्यायिक सेवा से क्यों बाहर रखा जा रहा है यह बहुत ही गंभीर विषय है पूरी चयन प्रक्रिया में परिवर्तन आवश्यक है जो ST छात्र NLU में मेरिट से पास होता है LLM करता है वह लिखित परीक्षा में फेल हो रहा है क्या चयन बोर्ड एसटी के छात्रों की उत्तर पुस्तिका सार्वजनिक करेंगे या प्रदेश सरकार को आदिवासी के प्रति संवेदनशील है तो यह परीक्षा निरस्त कर और पुन: परीक्षा आयोजित करना चाहिए,,, 

              अंतिम मुझाल्दा 

   जयस प्रदेश अध्यक्ष मध्यप्रदेश

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