जैन मुनि 108 श्री संधान सागर जी ने कहा -नशा नाश का मूल है, हर व्यक्ति इससे दूर रहे Jain Muni 108 Shri Sandhan Sagar ji said that intoxication is the root of destruction, everyone should stay away from it.

 केवल सोचने से नहीं, बल्कि सही दिशा में कार्य करने से मिलती है सफलता-कलेक्टर श्री वर्मा

जैन मुनि 108 श्री संधान सागर जी ने कहा -नशा नाश का मूल है, हर व्यक्ति इससे दूर रहे

संस्कार के साथ प्राप्त की गई शिक्षा ही देश के लिए उपयोग -मुनिश्री संधान सागर

दुव्र्यसनों और नशे से दूर रहकर अनुशासन एवं संस्कार को दें महत्व-न्यायाधीश श्री तिवारी


बड़वानी 15 अक्टूबर 2022/ भारत विश्व गुरु था, है और रहेगा। शिक्षा के साथ ही संस्कारों को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता है। शिक्षा तभी शिक्षा कहलायेगी, जबकि उसमें संस्कार सम्मिलित हों। विद्या वही है, जो हमें मुक्ति के मार्ग की ओर ले जाएं। केवल पैसा कमाने के लिए नहीं पढ़ें। पैसा उतना महत्वपूर्ण नहीं होते हैं, जितना कि संस्कार। आज भारत से प्रतिभाओं का पलायन हो रहा है। आज के युवा पढ़ लिखकर विदेश जाने की सोचते हैं। भारत के युवा के पास जो विद्या है, समझ है, नीति है वह और किसी अन्य देश के युवा के पास नहीं है। इसका कारण यह है कि भारत में बच्चों को संस्कार घुट्टी में पिलाये जाते हैं। युवा ध्यान दें कि नशा नाश का मूल है। आप सभी संकल्प लें कि किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करेंगे। ये बातें शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के प्रांगण में जिला प्रशासन के निर्देशानुसार महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बावनगजा में प्रवास कर रहे जैन मुनि 108 श्री संधान सागर जी महाराज ने लगभग चार हजार विद्यालयीन छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहीं। इस अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री आनंद कुमार तिवारी एवं कलेक्टर जिला बड़वानी  श्री शिवराज सिंह वर्मा, न्यायाधीश श्री अमित सिंह सिसौदिया, अनुविभागीय अधिकारी श्री घनश्याम धनगर, सहायक आयुक्त श्री नीलेश रघुवंशी, जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री रतनसिंह गुंडिया, सहायक संचालक श्री अजय कुमार गुप्ता, नगरपालिका सीएमओ श्री कुशल सिंह डोडवे सहित नगर के सरकारी एवं निजी महाविद्यालयों के प्राचार्यगण, शिक्षकगण, मनीष जैन एवं जैन समाज के सदस्यगण, बावनगजा तीर्थ के अधिकारी-कर्मचारीगण सहित हजारों विद्यार्थी उपस्थित थे। श्री संधान सागर जी ने संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी से 39 वर्ष की आयु में दीक्षा ग्रहण की थी और त्याग, तपस्या, साधना एवं परमार्थ का जीवन व्यतीत करके अहिंसा, सत्य, अचैर्य, ब्रह्मचर्य एवं अपरिग्रह के पंच महाव्रतों का पालन करते हुए मानव कल्याण के लिए अपने आचरण, विचार और वाणी से सतत् कार्य कर रहे हैं। जैन मुनिश्री ने अपने प्रभावी और सम्मोहक उद्बोधन में कहा कि लाॅर्ड मैकाले की शिक्षा नीति देश हित में नहीं थी, वह अंग्रेजों के हितों की पूर्ति करती थी। यह संस्कारी विद्यार्थी तैयार करने में विफल रही। उस समय भारत में 7 लाख 32 हजार गांवों में इतने ही गुरुकुल थे, जिन्हें मैकाले की शिक्षा नीति के अंतर्गत समाप्त कर दिया गया। गुरुकुल को कान्वेंट में बदलकर भारत की मजबूत रीढ़ को तोड़ दिया गया। उन्होंने हिन्दी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग पर बल दिया। 



सर्वप्रथम हुआ स्वागत-सत्कार

जैन परंपरा के अनुसार सर्वप्रथम मुनिश्री का श्रीफल एवं अक्षत से कलेक्टर श्री शिवराज सिंह वर्मा, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री आनंद कुमार तिवारी और एसडीएम श्री घनश्याम धनगर ने श्रीफल भेंट करके सत्कार किया। कलेक्टर श्री वर्मा एवं न्यायाधीश श्री तिवारी ने आचार्य श्री विद्यासागर जी के चित्र का अनवारण कर दीप प्रज्जवलित किया। शहीद भीमा नायक शासकीय स्,नातकोत्तर महाविद्यालय बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के कार्यकर्ताओं प्रीति गुलवानिया, वर्षा मुजाल्दे, वर्षा शिंदे, निकिता पाटीदार, प्रदीप ओहरिया, सुरेश कनेश, मुकेश सुलिया, स्वाति यादव, वर्षा मालवीया ने आरती एवं अक्षत से सम्मान किया। बावनगजा ट्रस्ट के श्री इन्द्रजीत जी एवं अन्य पदाधिकारियों ने अतिथियों का मोती की माला एवं दुपट्टों से स्वागत किया। 



न्यायाधीश श्री तिवारी ने किया संबोधित

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री आनंद कुमार तिवारी ने विद्यार्थियों को सात्विक जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि दुव्र्यसनों से दूर रहें। जीवन में संस्कार और अनुशासन को स्थान दें।

कलेक्टर श्री वर्मा ने दिया प्रेरक उद्बोधन

प्रखर वक्ता और विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सदैव मार्गदर्शन देने वाले कलेक्टर श्री शिवराजसिंह वर्मा ने अपने सवा घंटे के प्रेरक उद्बोधन में विद्यार्थियों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण सूत्र बताये। उन्होंने अनेक कहानियों और घटनाओं के माध्यम से संदेश एवं शिक्षा देते हुए कहा कि केवल सोचने से काम नहीं होता है सफलता प्राप्त करने के लिए निरंतर और सही दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता होती है।



नशा त्यागने के लिए दिलाया संकल्प

जैन मुनि श्री ने हजारों विद्यार्थियों को दोनों हाथ ऊँचे करके नशीले पदार्थ जैसे गुटका, सिगरेट, शराब एवं ड्रग्स का आजीवन त्याग करने का संकल्प दिलाया। तम्बाकू के उत्पादों पर स्पष्ट लिखा होता है कि वे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। फिर भी लोग इसका सेवन करते हैं। मुनि श्री ने इस पर चिंता और आश्चर्य व्यक्त किया। संचालन डाॅ. मधुसूदन चैबे एवं श्रीराम यादव ने किया। आभार एसडीएम घनश्याम धनगर ने व्यक्त किया।

केबीएस टीवी न्यूज़ चैनल बड़वानी से सह संपादक रघुनाथ सेन की रिपोर्ट

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